कुछ कही कुछ अनकही
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बस यूँ ही सी जिंदगी
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बस यूँ ही सी जिंदगी
जिए जाना /
थका देता है बहुत कभी कभी
बस यूँ ही सी जिंदगी
जिए जाना /
यूँ ही चलते जाना
बिन सोचे उन राहों पर
राहें वो
जो खुद कभी चुनी ही नहीं
गुनगुनाना
किसी गीत की उन पंक्तियों को
जो खुद कभी बुनी ही नहीं
इतना आसान भी नही
यूँ ही बस चलते जाना
हाथ बंधे हों जब
फ़र्ज़ की बेड़ियों से
पावों में मगर बेकरारी हो
आँखों में कुछ अधूरे सपने हों
राहों को रोकते हों जब
कुछ अपनों के झमेले
कुछ बेगानों ने भी रार
निबाहने की ठानी हो
ऐसे में जब थम गई हों
उड़ानें वो सारी
समाई थी जिनकी आरज़ू परों में
तब
थका देता है बहुत कभी कभी
बस यूँ ही सी जिंदगी
जिए जाना /
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