Menu
blogid : 13246 postid : 738644

किसी की हर बात अदा बन जाती है

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
  • 193 Posts
  • 159 Comments

आगाज़ से भी पहले
—————————
किसी की हर बात अदा बन जाती

किसी की हर बात हर अदा
नज़्म बन जाती है
जिससे हो रिश्ता कोई अनाम सा
उसकी तो नाराज़गी भी ग़ज़ल बन जाती है ……
आगाज़ से पहले ही तय था
अंजाम मेरी दास्ताँ का
हम यूँ ही बस उम्मीदों के भवंर में
कभी डूबते कभी उतराते रहे …..
लफ़्ज़ों से याराना बहुत सुकून देता है
बाकी सब रिश्तों में तो बस दर्द निहां होता है
कलम से निकल कागज़ पर रूप लेता है ख्याल जब कोई
मस्जिद की अज़ान कभी
तो मंदिर की घंटी कभी
बज उठती है उस पल जैसे कोई …………

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply