कुछ कही कुछ अनकही
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दोस्ती कहाँ रही अब मिलने मिलाने का नाम
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जिंदगी एक भीड़ का नाम हो गई /
उत्सव ,रस्मों – रिवाज एक शोर के नाम हो गई /
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उल्लास विलास सब /
ऊँचें सुर में गाने के नाम हो गई /
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दोस्ती रही कहाँ अब मिलने मिलाने का नाम /
यह भी अब तो मोबाइल और फेस बुक के नाम हो गई /
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घर की दीवारों में थी महफ़ूज़ जो वो कुछ बातें /
सड़कों ,रास्तों ,पार्कों में आम हो गई /
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धमाके , हादसे सनसनी भरी खबरें /
बस अब तो अख़बारों में आम हो गई /
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फ़िल्मी धुनों पर ज़ोर से बजते हैं /
हाँ ,भजनों की भीयह हालत सरे आम हो गई /
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बैठे बैठे करना आलोचना या फिर इस सब को झेलना यूँ ही /
यह बात हो हर घर में आम हो गई /
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