कुछ कही कुछ अनकही
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झील में तारों की परछाइयाँ
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अहसान है तेरा ऐ चाँद /
रोशन कर दी तूने /
काली स्याह रातें /
समाकर रोशनीसूरज की खुद में /
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साँझ ढली तो चल दिया सूरज /
अपने आशियाने को /
नन्हे नन्हे दीयों ने ही तब /
बनाई पूनम /
वो अमावस की रात /
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बैठे हैं परिंदे पेड़ों पर /
इस उम्मीद में /
झील में तारों की परछाइयाँ /
करेंगी रोशन उनका घोंसला /
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रोशनी के लिए तो दिए ही जलाने होंगे /
जंगल की आग से भी कभी हुई है रोशनी ????????
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