Menu
blogid : 13246 postid : 581323

बिखर गया हजारों टुकड़ों में पूनम का वो चाँद ………..

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
  • 193 Posts
  • 159 Comments

पूनम का वो चाँद

सागर का किनारा,,,
पूनम की रात ,,,
और ,,
वो चाँद ,,
चांदी सा चमकता ,,,,
हर तरफ चांदनी बिखेरता ,,,
ठहरे हुए शांत समन्दर के पानी में ,,,
निहार खुद को इतरा रहा था ,,,
चांदनी को भी रिझा रहा था ,,,
खुबसूरत से उन पलों में ,,,,
ठहर गया था जैसे वक्त भी ,,,,
तभी /

उठा समंदर में तूफान कोई ,,,
आया लहरों का इक बौराया सा मेला
टकरा कर किनारों से ,,,
मचा दी हलचल शांत ठहरे हुए समंदर में
और /

अगले ही पल ,,,
हजारों टुकड़ों में बिखर गया पूनम का वो चाँद ,,,
खो गया असीम अनंत सागर की लहरों में ,,,
अब न आइने में था उसका वो अक्स ख़ूबसूरत ,,

हो रहा था मोहित जिस पर वो कुछ ही पल पहले ,,,

बिखर चुका था ,,,
अब /
हजारों टुकड़ों में ,,,,

पूनम का वो चाँद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply