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नई सुबह …………

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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आई है फिर ,लेकर एक नया दिन सुबह यह सुहानी ……
भूलकर पिछले दिनों के धुप छाया के मौसम चलो शुरू करें नई सी कोई कहानी ………
देकर विदा अनचाहे पुराने लम्हों को पीछे के दरवाजे से ………
सुहाने पलों के लिए घर में खिड़कियाँ kuch नई बनाएं ………..
जिनसे हो कर किरणे ठंडे शांत चाँद की रोज ही आया करें ……..
और हलकी खुशनुमा बयार प्यारा सा गीत कोई गुनगुनाया करें …..
सुनकर जिसे बज उठे मन के तार ,और होठों पे बेवजह ही सही ……..
मुस्कुराहट आया जाया करे ………………

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