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कुछ यहाँ वहाँ की ……….

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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१——जड़ें जितनी गहरी होती है पौधे की ऊंचाई भी उतनी ही ज्यादा होती है .
२ ——-मुश्किलें वो हथियार हैं जिनसे हम कुछ बेहतर काम कर सकें .
३—–थकने की लम्बी और दुरूह प्रक्रिया का नाम ही जिन्दगी है.
४—-खुदा है तो यह दुनिया खुबसूरत है वरना तो सब बेरंग ,बेतरतीब है .
५—–तूफ़ान जितना भयानक होगा ,गुजरने के बाद उत्तनी ही गहरी शांति भी होगी .
६ ——-कभी कभी हम भाषा के उस मुकाम पर पहुंच जाते हैं जहाँ शब्दों का कोई मतलब नहीं रहता .जहाँ सब कुछ चेहरे पर ही लिखा होता है चेहरे और आँखों को पढने वाला उन शब्दों के मायने समझ ही जाता है बिना बोले .
७——-सुबह होने के ठीक पहले रात का अँधेरा सबसे गहरा होता है .
८— –तूफान पेड़ों की जड़ों को थोड़ा और गहरा कर देते हैं .
९ —-हवा के विरुद्ध उड़ता है पक्षी . हवा न हो तो गिर जाता है जमीन पर .
मतलब जब वो चीज जिसके विरुद्ध लड़ाई है अगर वही न रहे तो सन्घर्ष का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है.
१०—-चलते चलो कि चलता हुआ साहिल है जिन्दगी ,और हाँ ……मंजिलों के आगे भी है जिन्दगी .

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