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मेरा पता …………..

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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मेरा पता ………..
है छुपा सूर्यमुखी सवेरों में /
चंद्रमुखी संध्याओं में /
मौन स्वरों के सन्नाटों में /
अजनबी अंधेरों में /
मेरा पता …………..
किसी दृग गगन में रचा स्वप्न सुहाना /
सप्त स्वरों का कोई गीत सुरीला /
किसी पायल के घुंघरू की रुनझुन /
हवन की गूंजती ऋचाएं /
मेरा पता ……………..

जिनमें समाये है गम हजारों उन भीगी नम हवाओं में /
आंचल में अपने समेटे दर्द के अफसानों की गवाह हैं जो उन फ़िजाओं में /
पिघला न सका जिन्हें कोई बेजुबान बेचारा अलगाव की उन मौन शिलाओं में /
दर्द बन गूंजते सात सुरों के किसी गीत के आरोह ,अवरोहों में /
मेरा पता ……………..

उस खिड़की में जो खुली है सदियों से सूर्य रश्मियों के इंतजार में /
उस बरसात में जो बरस गई बनकर सावन किसी की याद में /
मौन स्वरों के अनसुने आलाप में /
किसी की आहट पर ठहरी हर आस में /
मेरा पता …….
छुपा है खुली आँखों के स्वप्न में /
आहों के सागर की , बर्फीली तपिश में /
जो कभी न बुझ सकी , सेहरा की उस प्यास में /
जो उदास हैं जाने क्यों ,धानी सी उस चुनर में /
मेरा पता ………..
वो आसमां जिसे जाने किसका है इंतजार /
वो कलियां ,महकता हो जिनमें किसी का प्यार /
वो फूल लायेंगे संग अपने जो ,कभी तो मौसमे -बहार /
संघर्षों से थक चुका उदास, अकेला ,दर्द भरा कोई दयार /
मेरा पता …………………………
मिलेगा किसी भोले से शिशु की सुहानी स्मित में /
मन को जो छु ले कविता की उस एक पंक्ति में /
तुम्हारे आसपास बहने वाली हवाओं में हूँ मैं /
धक् धक् करते तुम्हारे इस दिल की हर धड़कन में हूँ मैं /

इन सभी में मेरा पता है…………
इन सभी को मेरा पता ,पता है ………..

सदियों से मेरा इन से ,तुम से नाता है /
फिर क्यों खोज रहे हो मुझको यहाँ वहां /
सदियों से तुम हो जहाँ मैं भी हूँ वहां /
लिए फिरते मेरा पता खुद में ही तुम /
तुम ही तो हो मेरा पता /
हाँ ,तुममें ही तो छुपा मेरा पता ………

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