कुछ कही कुछ अनकही
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तेरे आसपास होने का अहसास हुआ है आज फिर
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हुआ है अहसास आज फिर तेरे आसपास होने का /
थोडा ही सही कुछ तो हल्का हुआ है बोझ मेरे मन का/*
दूर है सावन की रुत तो क्या , मौसम में आया तो बदलाव एक सुहाना सा
अभी अभी छूकर निकला है, ठंडी बयार का एक नटखट झोंका सा/*
तय कर रहा हूँ फासला कदम दर कदम, गो कि मंजिल है दूर बहुत /
हो रहीं हैं कम दूरियां हर कदम पर यह अहसास दे रहा मुझे तसल्ली बहुत/*
शुक्र है सफर मुक्कम्मल होने के आसार बने तो सही /
लग रहा वरना था यूँ , उम्र सारी बीत जाएगी यूँहीं/*
राहों में जिन्दगी की , तू रहे गर साथ अनदेखा अनजाना ही सही /
है यही आस काफी मुसाफिर के लिए , मुलाकात नहीं मेरे नसीब में तो न सही /
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