कुछ कही कुछ अनकही
- 193 Posts
- 159 Comments
खिड़की से दिखता वो आसमान
———————————-
कमरे की खिड़की के बाहर का आसमान /
रंग बदलता पल पल /
कभी नीली चादर से ढका हुआ/
अभी बादलों के पीछे छुपा हुआ /
ऐसे ही न जाने कितने रंगों से भरी है यह जिन्दगी भी तो /
कभी खुले ,खिले आसमान सी /
खुशनुमा ………
कभी गहरे बादलों से ढकी , ग़म में डूबी /
उदास ……….
हर पल रंग बदलती /
Read Comments