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क्षणिकाएं………………
(एक )
घर से दूर /
क्षितिज के उस पार /
क्या है ?
यही सवाल तो /
राही को /
उन नई राहों का पता देता है /
जिनसे अनजान रह गये /
वो लोग जो घर से कभी निकले ही नहीं /
(दो )
कल जो सच था /
आज वो बदल गया शायद /
अपने ही फैसले /
अपनी ही पसंद बदल जाते हैं जब /
फिर औरों के फैसलों को बदलते देख मन में उठे चुभन क्यों ?
यह बदलाव ही तो जीवन है /
यह बदलाव ही तो आधार है सृष्टि का /
एक चक्र है ऋतुओं का /
समय का /
यही शाश्वत सत्य है /
(तीन)
जिंदगी जीने का कोई तय फार्मूला नही है/
अपने आप को परफेक्ट बना कर जीना भी कभी कभी सजा बन जाता है /
थोड़े से दोष खुद में पाकर /
उन्हें स्वीकार कर /
जीवन जीना आसान हो जाता है/
क्योकि तब हम दूसरों के दोषों को स्वीकार करना सीख जाते हैं /
और समानता की भावना स्वीकार करने की भावना को मजबूत करती है /
(चार)
यह अहसास कि हम आजाद हैं मन में एक नई उर्जा भर देता है जो असीम है /
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