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हर लम्हा उदास है ……..

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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समझा दिया यह राज़ मुझे अभी अभी मेरी तन्हाई ने
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तू साथ नहीं तो हर पल उदास है /
भीड़ है ,शोर है, हर पल फिर भी कितना खामोश है /
तेरे आने का कोई वादा नही फिर भी /
निगाहें हटती नही उन राहों से /
जिन पर अबतक है निशान तेरे कदमों के /
उम्र बीती तेरे इंतजार में /
तुझ को तो शायद मेरे दर्द की खबर भी नही /
बहुत सदाएं दी तुझे मेरी तन्हाई ने /
तुझ पर मगर हुआ कोई असर ही नहीं /
तन्हाइयां मेरा मुकद्दर है तो क्या करे कोई /
दर्द लिखा है हाथों की लकीरों में तो यह भी मुकद्दर सही /
मैंने कब मांगे थे चाँद सितारे बस इक तेरा साथ ही तो चाहा था /
वही मिला नही बाकी जो भी मिला मेरे किस काम का था?
आज तक इक चाह छुपी है दिल के किसी कोने में /
सुकुन अब मिलता बस अकेले बैठ रोने में /
हँसना चाहा था मैंने भी ,मुस्कुराहटों की भी की थी ख्वाहिश कभी /
सबको मिलते नहीं यह खजाने /
समझा दिया मेरी तन्हाई ने यह राज मुझे अभी अभी /
हमने जो कहा वो तुम समझ सके न कभी /
शायद मेरे लफ्जों में ही कमी थी कोई /
कह न सके हम जो कहना था /
अनकहा जो दिल में रहा /
वो समझ न सके तुम कभी /
हुए अब तो लफ्ज तमाम /
आने को है उम्र की भी शाम

उदास लम्हों का साथ है /
तू कहीं नहीं बस मैं हूँ मेरी तन्हाई है /
और बहुत गहरी एक ख़ामोशी है /
तुम तो साथ दे न सके /
अब यही मेरे हमसफर है /
यही मेरे साथी हैं ………………….

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