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मीठे से उन पलों को
चलते चलते जीवन की राहों में /
बीती बातों से रीतता जाता मन /
नए रिश्ते, नई सी कुछ मुलाकातों से जुड़ता भी जाता यह मन /
हर गुजरते पल में /
कुछ पीछे छोड़ते जाना /
और उसी गुजरते पल में /
कुछ कडवी यादों को राह में छोड़ देना /
और कुछ मीठे भावों को उठा मन के किसी कोने में चुपके से लेना सहेज /
कुछ चेहरों को आँखों में बसा लेना सदा के लिए /
कुछ को झटक कर साथ छुड़ा लेना सदा के लिए /
हर मोड़ पर जरा ठहर कर /
मीठे से कुछ पलों को पी लेना /
और /
कडवे पलों से आंख बचा कर निकल जाना /
पर /
यह भी सच है /
कि/
न अपने बस में है उन मीठे पलों को साथ लिए चलना /
और न बस में है उन कडवे पलों को बस भूल जाना /
हर पल इन अहसासों से उलझ कर जीना /
फिर आगे बढ़ जाना /
फिर मिलना कुछ नये जज्बातों से /
फिर बिछड़ना उनसे जो बन गये थे अपने /
यही जीवन है /
बस यही तो है नियति /
मेरी भी /
और तुम्हारी भी /
हाँ /
मेरी ,तुम्हारी हम सभी की ………………………………….
सरोज सिंह .
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