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घर की छोटी सी खिड़की से दिखता एक टुकड़ा आसमां नही .
दूर क्षितिज तक फैला विशाल आकाश है जिन्दगी /
एकाकी सा कोई एक अकेला सुर नहीं /
सात सुरों की पूरी सरगम का अहसास है जिंदगी /
कुछ अधूरे पन्नों बिखरे पन्नें नहीं /
पूरी की पूरी एक किताब है जिंदगी /
अंजुरी में भरी कुछ बूँदें नहीं ,/
सागर की उठती गिरती लहरों का /
सारा विस्तार है जिंदगी/
बरखा की हलकी सी फुहार नहीं /
रिमझिम बरसता /
रुनझुन करता आता /
रंगीला सावन है जिन्दगी /
एक अकेले पावं की सूनी सी अधूरी थिरकन नहीं /
ढोल बाजों की ताल पर थिरकना अपनों के संग /
ऐसा एक त्यौहार है जिन्दगी /
इकलौते से रंग की कोई इकलौती कली नहीं /
अनगिनत रंगों के फूलों से भरा कोई बगीचा है जिन्दगी /
जीवन की ऊँची नीची राहों पर चलते जाना हँसते गाते /
समेटे हुए मन में मां का प्यार है जिन्दगी /
नन्हे बच्चे की वो भोली मुस्कान है जिन्दगी /
बूढी दादी के चेहरे के झुरियां भी लगती उनका जैसे सिंगार है जिन्दगी /
पीड़ा को सहकर भी अपने नवजात शिशु को /
आंचल में सहेजती माँ का वो असीम प्यार है जिन्दगी /
बाहें फैला कर अपना ले हर अपने परायों को तो/
खिल खिल कर खिलखिला उठेगी ऐसे यह जिन्दगी /
जैसे राग मल्हार हो यह जिन्दगी /
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