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सैनिक की पत्नी हूँ मैं
सैनिक की पत्नी हूँ मैं
उसके जीवन का अटूट एक हिस्सा हूँ मैं
कभी मुस्कुराती कभी रोती हूँ मैं
कभी उदास कभी खुश होकर
कभी भयभीत कभी निडर होकर
जीवन की राहों पर बस चलती जाती हूँ मैं
कभी साथ कभी अकेले ही जीवन गुजरता है
साथ रहूँ या एकाकी
फिर भी कभी घबराती नहीं हूँ मैं
हर डर, दर्द और पीड़ा अपनी छुपाना बखूबी सीख लिया है मैंने
अपनी मुस्कानों में
नहीं चाहती कमजोर करे भाव कोई मेरा
उस सैनिक को
देना हैं साथ सदा हर हाल में उसका
वरण किया है मैंने जिसका
चयन किया है मैंने जिसका
सुख दुःख तो अपने हिस्से के सहने ही हैं
वादा जो किया था
खुश रहने का
खुशिया बांटते रहने का
क्योंकि
सैनिक की पत्नी हूँ मैं
हाँ
एक बहादुर सैनिक की पत्नी हूँ मैं ……………………………………………………..
(भारतीय सेना के हर परिवार को समर्पित हैं मेरी यह पंक्तियाँ )
रचयिता ………..सरोज सिंह
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