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मेरी ज़मी मेरा आसमां……

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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मेरी ज़मीन मेरा आसमाँ

यह मेरी दुनिया है वो,
जमीँ जिसकी है सिर्फ मेरी , मेरा है अासमाँ ।
अाती है  हवा यहाँ मेरे ही लिये ,

मेरी सहेली है  सुबह की यह नर्म धूप
दोपहर की तपिश ,डूबते सूरज की लालिमा ,
रात की ठण्डी  चाँदनी,सब मेरे अपने हैं

नहीँ है यहाँ नफरत की कोई दीवार,
मेरी इस दुनिया मेँ हैँ सिर्फ प्यार की खिडकियाँ।
अौर  हैँ स्नेह के दरवाजे
मेरी इस दुनिया मेँ हैँ
अहसासोँ के अनमोल खजाने
विश्वास के हैँ फर्श यहाँ  अौर प्यार/दुलार की  है छत,
रिश्तोँ की खुश्बु से महकता  छोटा सा यह बगीचा मेरा
क्योँकि  यह  है मेरी जमीँ  मेरा आसमान
मेरी जमीँ मेरा अासमाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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