Menu
blogid : 13246 postid : 32

उसने पतंग पर लिख कर भेजी अपनी दुआएं …………

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
  • 193 Posts
  • 159 Comments

वो नौ सदस्यों का गरीब परिवार था इतना गरीब कि हमेशा ही खाने की कमी रहती थी सात भाइयों में छठे नम्बर पर पैदा हुआ ली यह अपने परिवार की इस दयनीय हालत इतना दुखी रहता था और भगवान से प्रार्थना किया करता कि उसके परिवार को जरूरत की सारी चीज़े मिले .

जी हाँ ऐसा ही था वो विश्वास ।ऐसी ही थी वो आस्था ।यह एक बहुत दिलचस्प और दिल को छु लेने वाली एक सच्ची घटना है जो मैंने कुछ दिन पहले पढ़ी और मेरे दिलो -दिमाग़ पर बहुत गहरी छाप छोड़ गई यह घटना एक बार फिर इस तथ्य को प्रमाणित करती है कि जो मनुष्य कठिन परिस्थतियों से घबराने की बजाय हिम्मत बनाये रखकर मेहनत करने का रास्ता अपनाते हैं वो आसमां को भी झुका लेते है और एक दिन सफलता उनके कदम चूमती ही है इसमें कोई दो राय हो ही नहीं सकती ।चलिए देखते है कौन है इस कथा का नायक ।
चीन के एक छोटे से गाँव में बहुत गरीब परिवार का एक छोटा बच्चा कागज के छोटे छोटे टुकड़ों पर अपनी प्रार्थना लिख कर पतंग पर बांध देता था।कागज के उन टुकड़ों पर वो भगवान से अपने भाई बहनों और माता पिता के लिए खुशिया मांगता था और उन खुशियों की फेहरिस्त में शामिल था –खाना ,कपड़े ,ठंड से बचने के लिए कम्बल आदि। उसका विश्वास था कि पतंग आकाश की ऊँचाइयों में जा कर शायद भगवान् के ज्यादा करीब पहुंच जाती है और इस तरह उसके वो सन्देश भगवान् तक जरुर और जल्दी पहुँच जायेगे जो वो धरती पर रह कर कर नहीं भेज पाता है क्योंकि धरती से भगवान बहुत दूर है जबकि पतंग की डोर में बंधें उसके सन्देश जरुर अपनी मंजिल खोज लेंगे।
उस छोटे बच्चे का नाम था ,ली कन्सिन ।

गरीब किसान परिवार में सात भाइयों में छठे नंबर पर था ली कंसिन । परिवार में कभी भी खाने के लिए पर्याप्त भोजन नही होता था ।अपने माता पिता को कड़ी मेहनत करते देखता और मन ही मन उनके लिए खुशहाल ,आरामदायक जिंदगी की प्रार्थना करता । जीवन में कुछ बनने की इस लगन के साथ “ली “‘ ने “माअो नृत्य अकादमी “में दाखिला लिया जहाँ कड़ी मेहनत के साथ नृत्य की शिक्षा के साथ सभी बच्चे चेयरमैन माओ ज़ेडोंग की रेड बुक का नियमित अध्ययन करते थे .सब बच्चे we love mao को गीत के रूप में गाते थे , यह उनके लिए जरूरी था ।अौर एेसे हालात मेँ ली एक कामयाब बैले नर्तक बनकार सारे विश्व में प्रसिद्द हुआ ।बचपन में देखे सारे सपने पूरे किये । परिवार को एक समृद्ध जीवन का तोहफा दिया ली ने।

दुनिया के उच्चतम बैले नर्तकों में अपना स्थान बनाने के बाद आज वो ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में एक सफल व्यापारी होने के साथ अमीर व्यक्तियों में अपना नाम शुमार करवा चुका है ।अौर उसकी आत्मकथा “माओ का आखरी नर्तक “‘की ३,५०, ००० प्रतियां बिक चुकी हैं .
उसने अपना घर ऑस्ट्रेलिया बनाया पर अपने माँ बाप और भाइयों के लिए अपने उस छोटे गाँव में ही एक बहुत आरामदायक घर बनाया जिसमें वो सारी सुविधाएँ उपलब्ध है जो तब नहीं थी जब वह छोटा था और जिनके लिए उसने भगवान को चिट्ठी भेजी थी । आज उसका परिवार गर्मी सर्दी की तकलीफों से बेफिक्र एयरकंडिशन्ड आलीशान मकान में रहता है।
एक छोटे से बच्चे के मन में उठने वाले विचारों ने और उसकी मेहनत ने उसे नयी ऊंचाइयां दी और उसकी उन दुआओं को भी मंजिल मिली जो उसने पतंग पर लिख कर भेजी थी .

इससे यही सिध्द होता है तरीका कुछ भी हो दुआओं की मंजिल तो एक ही होती है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply