कुछ कही कुछ अनकही
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उगते सूरज की पहली किरण जैसा
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उगते सूरज की पहली किरण जैसा
इन्द्रधनुष के सात रंगों से भी ज्यादा रंग खुद में समेटे
बहुत भोला /बिलकुल नन्हे बच्चे जैसा मन लिए
शरारतों का खजाना छुपाये
शीशे का दिल लिए
मेरे जीवन में आया
मेरा नन्हा बेटा
जब से वो आया जीवन में मेरे
अर्थ ही बदल गये
खुशियों के
रिश्तों के
उसने नई परिभाषा दी मौसमों को
रंगों से मेरी दोस्ती करवाई एकबार फिर
बारिश में खुद भीग अपने साथ मुझे भी भिगोया खुशियों की बरसात में
मेरा बेटा
प्यार का /आशा का /सच्चाई का /
एक आइना हो जैसे
मेरा सूरज है वो
जो सबको रौशनी दे
और खुद भी चमके सुनहरी रौशनी से सदा
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