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उड़ान वो जो खोलदे दरीचें आसमान में…….

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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उड़ान वो जो खोल दे दरीचे आसमान में ………..

हो ही जाते हैंसपने भी कभी कभी सच ……………..
मिल जाते हैं उड़ानों की चाहत को भी पर कभी कभी ……………
उड़ान वो खोल दे दरीचें आसमान में ……………
उड़ान वो जो चुका दे कर्ज जमीं से अपने रिश्तों के ……
रिश्ता उन कदमों का जुड़े थे जो जमीं से कभी ……….
रिश्ता उस ताकत का ………….
बख्शी है जमीं ने जो इन कदमों को ……….
नये सपने आँखों में लिए ………….
नई मंजिलों ओर………
जाना है दूर कहीं ………………….
छुपाये मन जमीं से रिश्तों की वो डोर ……………
जाना है दूर कहीं नई मंजिलों की ओर ………………..

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