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चुकाना है कर्ज उन अधलिखे पन्नों का ……….

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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कर्ज उन अधलिखे पन्नों का
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परिचय के नाम पर कुछ खास नहीँ
पर अभिलाषायेँ हैँ बहुत
लम्बा होगा सफर बहुत  यह भी   है खबर
पर शुरुअात तो करनी ही थी 
सो कर दी
देखेँ कहाँ तक पहुचँता है यह कारवँा मेरा
अाँखोँ मे हैँ सपने मँजिल के
साथ भी है कुछ अधूरे भूले बिसरे सपनोँ का
बहुत पुरानी कुछ डायरियाँ है
कुछ कवितायेँ हैँ कुछ कहानियाँ भी हैँ
इन्ही अधलिखे पन्नोँ को पूरा करना है
ऋण चुकाना है
उन हसरतोँ का
छोड दिया था जिन्हे बीच राह मेँ
फिर साथ ले कर चलने का इरादा है
इन सब साथियोँ को जो  थे सदा मेरे साथ
पर मैँ ही कहीँ खो गया था

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