कुछ कही कुछ अनकही
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जीत मिली कभी तो कभी हार मिली
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जीत मिली कभी तो कभी हार मिली ..
डगमगाई कभी ऊँचीं नीची लहरों पर ..
तो कभी जिंदगी की नाव को मेरी ..
ठहरी हुई शांत ,चमकती जल की धार मिली ..
राहों में मिले तूफ़ान कभी तो ..
तो कभी मौसम प्यारे प्यारे ..
चमके कभी किस्मत के तारे ..
तो कभी गर्दिशों में खोये ख्वाब सारे ..
पर …
थके हुए से पावों में मेरे ..
दूर ताकती नजरों में ..
कुछ ख्वाब हैं ..
सच होना जिनका अभी बाकी है ..
बीत गए जो सावन ..
फुहार उनकी अभी बाकी है ..
बहुत चुभुन दी है अपनों ने माना मगर ..
कहने को जो बेगाने थे .
उन रिश्तों की मिठास अभी बाकी है ..
वैसे तो बेमतलब सी एक भागमभाग में ..
बिता है यह सफ़र ..
पर एक उम्मीद है ..
बाकी बचे रास्तों में शायद ..
सुहाने से कुछ पड़ाव अभी बाकी है ..
सुहाने से कुछ पड़ाव अभी बाकी ..
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