कुछ कही कुछ अनकही
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सही ग़लतके दायरों से दूर कहीं
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सही गलत के तंग दायरों से दूर कहीं /
मिलूँगा मैं तुम्हे वहां /
दूर तक खुला आकाश है जहाँ /
उस ठंडी हवा और हरी घास की खुली वादियों में /
न होगा कोई पर्दा मेरे तुम्हारे बीच/
यहाँ इस दुनिया के हर कोने में शोर है बहुत /
इतनी की बात करनी है मुश्किल /
इसीलिए आओ चले वहां /
जहाँ सिर्फ उसी का नूर हो /
उसी की चर्चा हो /
हवाओं में लहराते हों गीत बस उसी के /
आओ चलें वहां /
जहाँ /
हम तुम न हो अजनबी /
और दिल से दिल की राह मिले /
और /
कभी कोई ऐसा मोड़ न आये /
जहाँ से जुदा हो जाएँ रहें हमारी /
तो आओ चले वहां /
जहाँ से एक हो जाएँ /
सदा के लिए /
राहें हमारी /
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